विस्तार - गुजरात,मध्य प्रदेश, राजस्थान
निर्माण- ग्रेफाइट काली मिट्टी से ढका हुआ है।
ऊंचाई 500 से 610 मीटर तक है इसे लावणी में पठार भी कहा जाता है। यमुना की सहायक चंबल नदी इस के मध्य से प्रवाहित होती है। मालवा का पठार अरावली पर्वत व विंध्याचल पर्वत के बीच है।
बुंदेलखंड का पठार: -
विस्तार - उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश के बीच फैला है।
निर्माण - नीस और ग्रेफाइट से हुआ है। इसका ढाल दक्षिण से उत्तर और उत्तर पूर्व की तरफ है। यहां कम गुणवत्ता का लौह अयस्क प्राप्त होता है।
छोटा नागपुर का पठार: -
विस्तार - झारखंड राज्य का अधिकतर हिस्सा एवं पश्चिम बंगाल बिहार और छत्तीसगढ़ के कुछ भाग इस पठार में आते हैं। इसके पूर्व में सिंधु गंगा का मैदान और दक्षिण में महानदी है। इसका क्षेत्रफल 65000 वर्ग किलोमीटर है। रांची का पठार, हजारीबाग का पठार, कोडरमा का पठार सब इसी के अंदर आते हैं।
यह पठार की औसत ऊंचाई 700 मीटर है।
इस पठारी क्षेत्र में कोयला का अकूत भंडार है जिससे दामोदर घाटी में बसे उद्योगों के ऊर्जा संबंधी आवश्यकताएं पूरी होती हैं।
शिलांग का पठार: -
गारो, खासी और जयंती पहाड़ियां इसे के अंदर आती हैं। इस पहाड़ में कोयला और लोएस और चूना पत्थर के भंडार उपलब्ध हैं।
दक्कन का पठार: -
भारत का विशालतम पठार है। दक्षिण के 8 राज्यों में फैला हुआ है। इसका आकार त्रिभुजाकार है। सतपुड़ा और विंध्याचल श्रृंखला इसकी उत्तरी सीमा है। तथा पूर्व और पश्चिम में पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित है। इसकी औसत ऊंचाई 600 मीटर है।
महाराष्ट्र का पठार: -
इस पठार के अंतर्गत महाराष्ट्र मध्य प्रदेश, कर्नाटक,गुजरात तथा आंध्रप्रदेश राज्यों के भू-भाग आते हैं। इस की उत्तरी सीमा ताप्ती नदी बनाती है और पश्चिम में पश्चिमी घाट या पठार विशाल चट्टानों से बना हुआ है। इन चट्टानों में खनिजों की प्रतियोगिता तथा लोहा, अभ्रक, मैग्नेसाइट तथा बॉक्साइट इत्यादि खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। गोदावरी नदी द्वारा इसे दो भागों में विभाजित किया गया है। तेलंगाना पठार एवं कर्नाटक पठार। इसमें काली मिट्टी का आर्कियन पाया जाता है।
आंध्र प्रदेश का पठार: -
दो भागों में विभक्त है।
१. तेलंगाना का पठार (लावा से निर्मित लावा पठार के नाम से जाना जाता है।)
२. रायलसीमा का पठार (आर्कियन चट्टानों की अधिकता पाई जाती है।)
कर्नाटक का पठार: -
कर्नाटक का पठार, कर्नाटक राज्य दक्षिण पश्चिम भारत का राज्य का क्षेत्र इस पठार का नामकरण 'करनाड' जिसका अर्थ है काली मिट्टी की भूमि के नाम से किया जाता है क्षेत्रफल 189000वर्ग किलो मीटर औसत ऊंचाई 800 मीटर है। यह पठार धारवाड़ पार्वतीय प्रणाली की ज्वालामुखी चट्टानों रवेदार परतदार चट्टानों और ग्रेनाइट से मिलकर बना है। गोदावरी, कृष्णा, कावेरी तुंगभद्रा, सरस्वती और भीमा यहां की प्रमुख नदियां है।
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